काल
उगता सूरज क्या कहता है ?
ढलता सूरज क्या कहता है ?
पल्लव खिलते क्या कहते हैं ?
गिरते पल्लव क्या कहते हैं ?
चित्र राम का या रावण का ,
तर्क विभीषण या लक्ष्मण का ।
एक पक्ष सबका उजला है,
एक पक्ष सबका धुंधला है ।
हम सब विवश बाध्य हैं ऐसे,
जैसे बंधा हुआ पशु दीन ।
हमें रूलाता हमें हंसाता,
काल सदा रखता आधीन ।
हम सब पात्र मात्र हैं केवल,
निर्देशक है वह परमेश्वर ।
जाने कब से चलता आया,
जन्म मरण का चक्र निरंतर ।
भूत, भविष्य, वर्तमान का,
चलता रहता चक्र निरंतर ।
तीन तत्व शाश्वत अनादि हैं,
प्रकृति जीव और सर्वेश्वर ।
— निशा गुप्ता, तिनसुकिया, असम