सावन
सावन देख मेरा मन बहके
आजा तु क्या करेगी रह के
एक पल अब नहीं रहा जाता
आनेकी आहट से दिल चहके
मन्द मन्द जो हवा चल रही है
फुहार लिए बयार चल रही है
पैदा करें अजीब सा सिहरन
अब मिलन की घड़ी आ गई है
पूरा करने अब आ जाओ
मन नहीं लगता अब खो जाओ
अब हमसे दूर रहा न जाता
आकर बाहों में बाहें फैलाओ
ठंडे- ठंडे इस कश्ती में
दोनों झूमें अब मस्ती में
मोर-मोरनी बन करके
डूब जायें मौसम की बस्ती में॥
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@रमेश कुमार सिंह/20-07-2016