कविता : टूटे मर्यादा…
टूटे मर्यादा… दिन – रैना
क्यों “रामा” अब तेरे देश में !
रिश्तों में धोखा… इंसा दे रहा
आदमी के भेष में !!
मुरली की धुन पर… नाचे राधा
समझ जिसे अपना कृष्णा !
वही कृष्णा दे है, राधा को धोखा
तृप्त करे मन की तृष्णा !!
ले नव अवतार, आ जाऔ फिर से
“ऐ भगवन” मेरे देश में !
न कोई दे … किसी को धोखा
मित्रता या किसी द्वेष में !!
अंजु गुप्ता