भुजंग प्रयात छंद
कभी नोट दिल से लगा कर गये जो ।
लगी चाह यारा दगा कर गये जो ।
हजारी विदा ले चले बैंक में जब ।
कयामत दिले ढा, वफ़ा कर गये जो ।
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी
कभी नोट दिल से लगा कर गये जो ।
लगी चाह यारा दगा कर गये जो ।
हजारी विदा ले चले बैंक में जब ।
कयामत दिले ढा, वफ़ा कर गये जो ।
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी