मुक्तक/दोहा “दोहा मुक्तक” *महातम मिश्र 28/11/2016 कली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो, डाली डाली मौर महक उठूँगी बाग में, लग जाएगी होड़॥ महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी