“धोखा है” रदीफ़ पर ग़ज़ल
रुक मत चल घर धोखा है …..
क़दम – क़दम पर धोखा है …..
घूम रहा है हर कोई …..
लेकर पत्थर धोखा है …..
रात है काली कुछ चमका …..
देख वहाँ पर धोखा है …..
जाने कितना गहरा है …..
ये भी सागर धोखा है …..
बात नहीं बन पायेगी …..
उठा नहीं सर धोखा है …..
गहरी नींद में सोया है …..
जाग यहाँ पर धोखा है …..
चूम रहा है हर कोई …..
मौत का फंदा धोखा है …..
भाग्य को आज़मा लो …..
कभी न कहना धोखा है …..
‘रश्मि ‘ आगे बढ़ती जा …..
देख न मुड़कर धोखा है …..
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’