आ जाते हो क्यों ?
मुझे हँसना है दुनिया में तुम रुलाने आ जाते हो क्यों?
सपनों में बेवजह तुम याद दिलाने आ जाते हो क्यों ?
मैं सोचता हूं फूलों की तरह सुगंध फैलाऊँ चारोओर,
लेकिन तुम मुझे इस तरह बहकाने आ जाते हो क्यों?
चाहता हूँ हँसीं वादियों में गीत हरदम गुनगुनाता रहूँ,
लेकिन तुम यादों की बारात लेकर आ जाते हो क्यों?
देखे हुए सपनों को टूटे हुए अपनों को भूल रहा हूँ मैं,
तो तुम इस तरह मुझे याद दिलाने आ जाते हो क्यों?
झरना बन आँसू गीरकर दिल पत्थर जैसा हो गया है,
बन जाने दो मोम मुझे, रोड़ा बनने आ जाते हो क्यों?
मुझे झरना का पानी बनने दो पत्थर नहीं बनना है,
गीरकर भी सुन्दर दीखना है,रोकने आ जाते हो क्यों?
@रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’ /01-08-2016