कविता :चाय की चुस्की और बीती यादें
कुछ कही, कुछ अनकही सी बातें
चाय की चुस्की और बीती यादें !
पुनः किस्से पुराने, दोहराती हैं
तेरी यादें… दिल को तड़पाती हैं ! !
रिश्तों में अपने, जब छाई वीरानी
खत्म हुई तब, अपनी कहानी !
कुछ ठहराव था कुछ बिखराव
सब सोच के आँखें,छलक जाती हैं ! !
तेरी यादें…
यादों के मोती, वो रिश्तों का सच
जीने की कसमें, संग मरने का हक
रस्म-रिवाजों में दफन हुई मुहब्बतें
दिल में तूफान, फिर मचा जाती हैं ! !
तेरी यादें…
चाय का प्याला और बीती यादें
स्मृतियों के द्वार खटकाती तेरी बातें !
भुले -बिसरे कुछ किस्से दोहराती हैं !
तेरी यादें… दिल को तड़पाती हैं ! !
अंजू गुप्ता