कहानी

दिल तो बच्चा है !

रवि ने आफिस से आते ही मीरा को तैयार होने को कहा, पास ही माँ भी खड़ी थी। पर रवि को जाने की जल्दी थी प्रोग्राम बन गया था आफिस में ही किसी दोस्त के साथ घूमने का प्रोग्राम बनाया था। माँ ने रवि से पूछा बेटा कहां जा रहे हो ऐसी भी क्या जल्दी है, अभी तो आफिस से आए हो। औहो मां माफी चाहता हूँ आपको तो बताया ही नहीं, माँ आफिस में ही दोस्त के साथ शिमला जाने का प्रोग्राम बना है मीरा को स्नो फॉल बहुत पसंद है। दोस्त को भी अपने परिवार को लेकर जाना है तो सोचा हम भी चलते हैं, आप भी चलते पर घर पर भी तो कोई चाहिए बच्चों को लेकर नहीं जाना है वो वैसे भी ठीक नहीं रहते कहीं सर्दी लग गई तो, आप उनका ध्यान रखना बस दो दिन की ही तो बात है वैसे भी वो आपके साथ खुश रहते हैं। मीरा जब नौकरी पर जाती है तो भी वो आपके पास ही रहते हैं। पापा के जाने के बाद आपका मन भी उनके साथ लगा रहता है। अच्छा माँ अब पैकिंग करने दो कहीं कुछ छूट न जाए। बेटे और बहु को खुशी खुशी जाते देख माँ को अपना समय याद आ गया कि कैसे वो भी रवि के पापा से स्नो फॉल देखने की जिद्द करती थी,उनको बहुत मन था पर घर की ज़िम्मेदारियों से और अपने सास ससुर की सेवा से कभी फुर्सत ही नहीं मिली थी फिर हर साल फिर कभी जाएंगे कहते कहते कितने साल बीत गए थे। सास थोड़े गुस्से वाले स्वभाव की थीं उनसे पूछने से भी डर लगता था कि कहेंगे,क्या है बाहर जाने वाला घर बैठो और रसोई संभालो, पहले कोई ही जाता था घूमने। पर मन में अभी कुछ अरमान तो बाकि थे वो पुराने शौक समय के साथ धुंधले ज़रुर पड़े थे पर अब भी उस बीते वक्त को जीने का मन था कहीं बूढ़े शरीर में वो बच्चा वो बचपना जीवित था जो अपने अधूरे सपनो को जीना चाहता था पर उस पर पहले की तरह संकोच का कुछ पहरा था। अचानक ही अपने पुराने दिनों की यादों से मां बाहर आई, रवि और मीरा जाने ही वाले थे अचानक बच्चों का शोर सुनाई दिया। ममा पापा आपको पता है दादी ने भी स्नो फॉल नहीं देखी वो भी दादा जी को अकसर कहती थीं कि हम कभी नहीं जा पाए पर मन तो करता है फिर दादा जी बीमार हो गए थे,और उनका देहांत हो गया। पर पापा जब टीवी पर भी स्नो फॉल दिखाते हैं तो दादी बहुत खुश होकर देखती हैं मानो वो वहीं उसे महसूस कर रही हों, पापा हम सब चलते हैं दादी को भी लेकर उनको अच्छा लगेगा। रवि ने भी मां की आँखों में जाने के लिए उत्सुकता देखी थी पर वो कह नहीं पाई थी,आखिर बेटे और बहु को कैसे कहती कि उनका दिल भी करता है। फिर सारा परिवार खुशी खुशी स्नो फॉल देखने के लिए चल पड़ा साथ ही दोस्त का परिवार भी अपनी गाड़ी में था। वहां पहुंचने पर दादी को बहुत अच्छा लगा मानो बरसों की कोई ख्वाहिश दिल से मांगी दुआ पूरी होगई हो सब मस्ती कर रहे थे रवि हैरान था मीरा भी उन्होने माँ को पहली बार बच्चो की तरह खुश होते और मस्ती करते देखा था। रवि और मीरा सोच रहे थे अगर वो माँ को साथ न लाते तो माँ कहती तो कुछ नहीं पर वो कितना उदास रहती घर पर, क्योंकि उनकी तरह उनका भी तो मन करता था, जो समय के साथ बदल तो गया था पर कहीं कुछ ख्वाहिशें तो थी दिल तो अब भी कुछ कुछ पहले जैसा था।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |