आपका आशीष मुझको मिल रहा है
आपका आशीष मुझको मिल रहा है
दौर लेखन का तभी तो चल रहा है
जानता हूँ आप ही का है करम ये
आँधियों में दीप जो ये जल रहा है
चल रहा है नेकियों के रास्ते पर
वो तभी तो हर किसी को खल रहा है
मिल रहा है बाँगबां का प्यार इसको
इसलिये ही तो शजर ये फल रहा है
माँ बहुत हैरान है ये देखकर की
एक बेटा दूसरे को छल रहा है
है कोई तो बात की रुकता नही ये
कारवां जो साथ मेरे चल रहा है
हर बरस मरता है रावण फिर बताओ
हाथ अपने सच भला क्यूँ मल रहा है
— सतीश बंसल
०७.०१.२०१७