“दोहा”
अपनापन मन का मिलन, दिल तिल रसना चाह
मीठा गुड़ मीठे वचन, मीठी लगती वाह ।।-1
मकर खिचड़िया चित बसी, सादी दही मिलाय
अमृत पावन संक्रांति, हर हर गंग नहाय।।-2
ख़ुशी ख़ुशी आशीष दें, शुभकामना अनेक
यज्ञोपवीत पिताम्बरी, धारण करें विवेक।।-3
जय हो जय हो जायका, दान मान सम्मान
नाचें गाएं पर्व है, उड़ते रहें विमान।।-४
महातम मिश्र, गौतम गोराखपुरी