सहारा
कोई सुनेगा क्यों नहीं,
दुनिया इतनी
जालीम नहीं
अपने अलफ़ाज़ को
बाहर निकालकर देखो
किसी के यहाँ
अपने दर्द को बयां
करके देखो
इस दर्द की बयां को
सुनेगे परखेगे फिर
थोड़ी सी
मानवता दिखायेंगे
तरस खायेंगे
कुछ नुक्से बतायेंगे
मानवता का व्यवहार
बतलाकर
सिखलाकर
मुस्कुराकर
आगे बढ जायेंगे
हँसीं उड़ायेंगे
मजाक बनाकर
फिर रहा है
मारा मारा
लोगों से कहेंगे
कोई नहीं है इसका
सहारा॥
@@ रमेश कुमार सिंह
______20-10-2016