आजकल
जिन्दगी यूँ ना गुजरे मेरी आजकल।-
सदा चलते रहें तेरे साथ आजकल।
यूँ ना विछड़े कभी इक दूजे से हम
हर पल बिताये तेरे साथ आजकल।
नहीं आये पास कभी गम का साया,
जिन्दगी में खुश रहें सदा आजकल।
किसी की नजर ना लगे वफाओं पर
गुनगुनाते रहें यहाँ सदा आजकल।
ख्वाब देखते रहें एक दूजे का हम,
जमीं पर सपनों को लाये हम आजकल।
@@@@ रमेश कुमार सिंह “रुद्र”
_________________18-10-2016