कविता

लगाव

आदमी आदमी मे लगाव चाहिए, द्वेष ईर्ष्या नही प्रेम भाव चाहिये।

दूर मंजिल से यदि तुम परेशान हो, शांति हित राह मे इक पड़ाव चाहिए।।

आज दुनिया दुखी दोस्ती के लिए, दोस्ती न दुखी दुश्मनी के लिए।

दोस्त से दोस्त का उठ भरोसा गया, जब हुई दोस्ती दुश्मनी के लिए।।

मत सताओ मुझे प्यार करते रहो, प्रेम निधि को सदा जग मे भरते रहो।

ऐसा अवसर कभी लौट आये नही, इसलिए प्रेम निधि को लुटाते रहो।।

में जँहा से जंहा को चला जाऊंगा, तो कभी भी तुम्हे मिल नही पाउँगा।

यदि किया सोचने मे जरा देर भी, फिर यहां लौट कर आ नही पाउँगा।।

रूठकरके जहां को चले जाएँगे, लाख कोशिश के भी ढूँढ़ न पाओगे।

प्रेम का अच्छा अवसर मिला है सखे, फिर कभी मानव जीवन नही पाओगे।।

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372