कविता

मानक नए बनाने होंगे

शूर्पणखा की नाक कटी तो
भाई रावण का सिर चकराया
बदले में कुछ नहीं बना तो
राम प्रभु से जा टकराया
जग में महादुष्ट कहलाया.

 
आज पति गुस्से में आकर
नाक पत्नी की काट डालता
लोक-परलोक का रक्षक बन वह
भक्षक के सम नाक काटता
रावण से कम क्या उसे कहोगे?

 
कंस ने अपनी बहिन के बच्चे
मारे अपनी रक्षा हेतु
सारे बच्चे मारे फिर भी
बचा न पाया जीवन-सेतु
जग में पापी कंस कहाया.

 
आज पिता बच्चों की रक्षा
करने का बस दंभ है भरता
स्वयं उन्हें ही मार-काटकर
स्वार्थ है अपना पूरा करता
कंस से कम क्या उसे कहोगे?

 
दुर्योधन ने छल से छीना
पांडवों का हक, उन्हें सताया
महाभारत का बना प्रणेता
फिर भी राज्य बचा नहीं पाया
जग में धूर्तराज कहलाया.

 
भाई सगा रिपु से मिलकर
आज गला काटे भाई का
चांदी के टुकड़ों की खातिर
चैन-अमन छीने भाई का
दुर्योधन से कम क्या उसे कहोगे?

 

रावण-कंस-दुर्योधन को
कोसा बहुत आज तक हमने
सबके मानक बदल रहे हैं
इनके नाम न बदले हमने
मानक नए बनाने होंगे
मानक नए बनाने होंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244