गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – तू लौट आ

न हो ख़फा, तू लौट आ, दूरियाँ मिटाने को ।
तू दे ज़हर, मेरे रक़ीब, मुझे बचाने को ॥

ग़ज़ब क़शिश है ज़ालिम, तुम्हारी चाहत में ।
मचल रहा है दिल गहरे ज़ख्म खाने को ॥

न रोक मुझको आज, टूटने दे बाँहों में ।
तड़प है दिल में वस्ल-ए-शब  जगाने को ॥

आ दबोच ले मुझको, तेरे बाज़ुओं में ।
जरा  निचोड़ दे आँचल, मुझे भिगोने को ॥

न चाह बाकी रहे, दे दे चाहत का सिला ।
मुझे मदहोश कर दे, दर्दो ग़म मिटाने को  ॥

बरस जा खुल के आज, मुझे तर कर दे ।
दिल है बेताब तेरे, आगोश में समाने को ॥

राम दीक्षित ‘आभास’

राम दीक्षित 'आभास'

राम मिलन दीक्षित 'आभास' , माता- प्रेम लता दीक्षित , पिता- राम प्रकाश दीक्षित , जन्म - 18 अगस्त 1987 , स्थायी निवास - ग्राम-पोस्ट अम्बरपुर, सिधौली, जिला सीतापुर (उ.प्र.) , शिक्षा - स्नातक , पुरस्कार - सी.ए. परीक्षा के लिए गोल्ड मैडल एवं प्रमाण पत्र , प्रकाशित कृति - "अन्तस के बोल" (काव्य संग्रह) , विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशन , लेखन विधाएं - छंद , कविता, कहानी , उपन्यास , ग़ज़ल , व्यंग्य , निबन्ध, आलेख , वर्तमान पता- सत्य सदन, 1/118, सेक्टर 1, जानकीपुरम विस्तार , लखनऊ - 226031 Mob. 09919120222 email- [email protected]