गीत/नवगीत

गीत:कर्मयोगी कृष्ण को मुँह मोड़ना है

ज़िन्दगी जीना है, तुमको छोड़ना है
एक तिनके से हिमालय तोड़ना है

बंद दरवाजे निकल सकता नहीं हूँ
मैं तुम्हारे साथ चल सकता नहीं हूं
पर टँके जो चित्र मन दीवार पर हैं
मैं उन्हें भी तो बदल सकता नहीं हूं

बस दीवारों से मुझे सर फोड़ना है

मुश्किलों के सामने झुकना नहीं है
अब किसी के भी लिये रुकना नहीं है
टिमटिमाता मैं दिया हूँ तेल कम है
दिन निकलने  तक मुझे बुझना नहीं है

गर्म मरुथल और मुझको दौड़ना है

हैं प्रतीक्षा में अभी वीरान पनघट
और मधुवन में अभी है शेष आहट
फिर अभी राधा खनक करके हँसेगी
प्रेम सावन में भरेंगें रीते मन-घट

कर्मयोगी कृष्ण को मुँह मोड़ना है

प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com