सूनी कलाई
सूनी ये कलाई मेरी, सूनी ही रहेगी,
पिछले भी बरस थी, अब के भी रहेगी।
खुशियों भरा जीवन, मिलता न सभी को,
ठहरी है जिंदगी यह, ठहरी ही रहेगी।।1।।
है याद वो बचपन, जब साथ थी अपने,
हम लड़ते थे सदा, पर साथ थी अपने।
खुशियों को बांटती थी, मुझको लगा गले,
गलती न छुपाई, जब साथ थी अपने।।2।।
भाव भरे हृदय की, मनभावना रिश्ता,
छुटकी हो या बड़की, मनभावना रिश्ता।
एक ही उदर से जन्मा, रिश्ता नहीं है ये,
धागे की डोर का, मनभावना रिश्ता।।3।।
मां की बनी तू ताकत, जब स्वास्थ्य न था अच्छा,
करती रही तू काम, जब स्वास्थ्य न था अच्छा।
एक शाम ही तो पहले, तू रोइ थी मिल गले,
जग छोड़ दी सुबह, जब स्वास्थ्य न था अच्छा।।4।।
— प्रदीप कुमार तिवारी