गीतिका/ग़ज़ल

तरही ग़ज़ल !

हम तो हैं परदेस में, देश में निकला होगा चाँद।
कल्पना के चलचित्र सा,सोम्य सा सजा होगा चाँद।

कटती है निशा जब भी,इन नयनो की झिलमिल में;
अँधेरें छटेंगे फिर ये ,जगमगाता कहता होगा चाँद।

तुम संग बीते थे जो पल,यादें बन रह गए वो अब;
तारों की बारात लिए,मुस्काता दिखता होगा चाँद।

माना मिलता नहीं मुकम्मिल, सब को जहां जगत में;
उम्मीद की लौ सा मगर,जुगनुओं संग मिलता होगा चाँद।

मन जब विचलित होकर,नभ को देखता है कभी;
कायनात को शीतलता देता;कुछ संदेस देता होगा चाँद।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |