दरिद्रता का हक़दार
महल जगमगाउठा था। प्रजा ने अपने घर के सभी दीपकों से राजा का महल रोशनी से भर दिया। माँ लक्ष्मी पूरे राज्य में घूम ली, सिवाय राजमहल के कहीं उजाला नहीं था। जब देवी लक्ष्मी राजमहल में प्रवेश को उद्यत हुई, दरिद्रता ने पूछ ही लिया– “जहां धन पहले से मौजूद है,वहां प्रवेश क्यों देवी? ये राजमहल की रोशनी तो अन्याय का परिणाम है। तनिक प्रजा की और भी तो देखिए।“
माँ लक्ष्मी ने जी प्रत्युत्तर दिया उसके बाद दरिद्रता ने सिर झुका दिया। माँ बोली– “अन्याय सहन करनेवाला दरिद्रता का ही हकदार है।“