क्षणिका
तुम फिर बहला दोगे हमे बातों से
हम जानते हुए भी सच मान लेंगे
खामोश रहकर बस देखेंगे तुम्हें
झूठ को सच बताते हुए ।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !
तुम फिर बहला दोगे हमे बातों से
हम जानते हुए भी सच मान लेंगे
खामोश रहकर बस देखेंगे तुम्हें
झूठ को सच बताते हुए ।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !