मुझे नाकाम होने दे……
कभी मयकदे के रस्ते पर,
तुमको बुलाऊं जब।
नहीं आना मेरे हमदम,
भले ही रूठ जाऊं तब।
गिराना बिजलियां अपनी,
जले सब मयकदे धू कर।
बुझाने प्यास मैं अपनी,
किसी नदियां को जाऊं तो।
बना देना उसे खारा,
कही जल पी न पाऊं मैं।
स्वत: ही लौट आऊंगा,
तुझे आकर मनाऊंगा।
मुझे नाकाम होने दे,
तुझी में ही समाऊंगा।
निभाऊंगा सभी वचनों को,
वापस जब मैं आऊंगा।।
🙏🙏🙏🙏🙏
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045