…कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिये
कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिये, कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिये। शायर दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां आजादी के सात दशक के बाद भी प्रासंगिक हैं। देश में एक ओर बुलेट ट्रेन की आधारशिला रख दी गई हैं, तो वहीं दूसरी ओर आज भी करोड़ों लोगों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा हैं। बिजली के अभाव में सूर्य अस्त होने से पहले इन लोगों को अपने घर की रसोई से लेकर बिजली पर आधारित कई महत्वपूर्ण काम करने को विवश होना पड़ रहा हैं। जाहिर है कि इन हालातों में बच्चों को अपनी पढ़ाई भी लालटेन की रोशनी में करनी पड़ती होगी।
गौरतलब है कि बिजली मंत्रालय ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है। रिपोर्ट के मुताबिक 7 दिसंबर 2017 तक देश में 4 करोड़ 5 लाख 74 हजार 727 घरों तक बिजली नहीं पहुंची है। इनमें से 1 करोड़ 45 लाख 80 हजार 929 परिवार उत्तर प्रदेश में है। पंजाब ,तमिलनाडु और गोवा के शत-प्रतिशत घर रोशन हो चुके हैं जबकि आंध्र प्रदेश के 12, केरल के 103, गुजरात के 238 और पुडुचेरी के 375 ऐसे घर बच गये हैं जहां बिजली पहुंचानी बाकी है। असम, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में बिना बिजली के परिवारों की तादाद लाखों में हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 63 लाख 86 हजार 207 घर बिहार में और उसके बाद 44 लाख 56 हजार 106 मध्य प्रदेश में तथा 32 लाख 08 हजार 536 ओडिशा में, 30 लाख 19 हजार 743 झारखंड में, 20 लाख दो हजार 744 असम में और 19 लाख 50 हजार 545 राजस्थान के घरो में बिजली नहीं पहुंची है। वहीं, पर्वतीय राज्यों को भी कमोबेश इसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा हैं। इन राज्यों में सबसे खराब स्थिति जम्मू-कश्मीर की है जहां के दो लाख 70 हजार 859 घर बिजली से महरूम हैं। इसके बाद उत्तराखंड के एक लाख 85 हजार 34 और हिमाचल प्रदेश के 12 हजार 723 घरों तक यह सुविधा नहीं पहुंची है। पूर्वोत्तर के मेघालय, मणिपुर और नागालैंड में बिना बिजली वाले परिवारों की तादाद एक लाख से ऊपर है तथा बाकी में यह संख्या हजारों में है।
सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए 25 सितंबर 2017 को सौभाग्य योजना की शुरुआत की थी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के चार करोड़ घरों में बिजली पहुंचाए जाने का लक्ष्य तय किया था। हालांकि, सरकार का यह आंकड़ा काल्पनिक था। दरअसल, इसके तहत तीन करोड़ 31 लाख के लगभग घरों में ही ‘सौभाग्य कार्यक्रम’ के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन (मुफ्त बिजली नहीं) दिए जाने की बात कही गई है। बिना बिजली के कनेक्शन वाले इन सभी घरों को 31 मार्च 2019 तक रोशन करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके लिए 16320 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है। वंचित तबके को मुफ्त कनेेक्शन दिये जाएंगे तथा अन्य को 500 रुपये में यह सुविधा मिलेगी। उन्हे कनेक्शन के 500 रुपयों का दस किस्तों में बिजली के बिल के साथ भुगतान करना होगा। बहरहाल, सौभाग्य कार्यक्रम के तहत निविदा प्रक्रिया ही चल रही है। कार्यक्रम का असल क्रियान्वयन जनवरी-2018 या उसके बाद ही शुरू हो सकेगा। यहां बताते चलें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से ‘सौभाग्य कार्यक्रम’ ठीक वैसे ही मायने रखता है जैसे ‘उज्जवला योजना। उज्जवला योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए थे।
ऐसे में सरकार की स्मार्ट सिटी, स्मार्ट विलेज व डिजिटल इंडिया जैसी कई परिकल्पना अधर झूल में है। न्यू इंडिया के लिए सरकार को चाहिए कि वंचितों को बिजली की पर्याप्त सुविधा मुहैया कराएं। बिजली की कमी की पूर्ति करने में सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक स्त्रोत मददगार साबित हो सकते है।