ज्यामितीय आकार
चार भुजाएं मेरी बच्चो,
चारों ही हैं एक बराबर,
चार बराबर कोण हैं मेरे,
खुश होता हूं ‘वर्ग’ कहा कर.
चार भुजाएं मेरी बच्चो,
आमने-सामने एक बराबर,
चार बराबर मेरे कोण,
‘आयत’ मुझको कहो कृपा कर.
नाम ‘चतुर्भुज’ मेरा बच्चो,
चार भुजाएं मेरी जानो,
आयत सीधा होता होगा ,
मुझको तो टेढ़ा ही जानो.
मेरी तो बस तीन भुजाएं,
तीन कोण से शोभा पाता,
उल्टा होता या मैं सीधा,
हरदम ‘त्रिभुज’ ही कहलाता.
मैं तो गोल हूं चूड़ी जैसा,
चाहे मुझे समझ लो रोटी,
‘वृत्त’ नाम से जाना जाता,
शक्ल नहीं है मेरी मोटी.
अब बूझो तुम एक पहेली,
लंबा भी हूं और गोल भी,
नहीं बता पाए तो सुन लो,
नाम ‘सिलिंडर’ मेरा भाई.
अरे कौन मैं तुम पूछोगे,
मैं खुद ही बतलाता हूं,
प्यार मुझे ममी का मिलता,
”बेलनाकार’ कहलाता हूं.
बच्चों का पढ़ाने का सुन्दर तरीका लीला बहन .
सूत्रों में ‘गर याद करोगे,
कभी न भूलेंगे आकार,
सूत्र ही तो हमें सिखाते,
हम छोटे, पर हैं उपहार.