गीतिका/ग़ज़ल

शिकायत है अगर तो फिर शिकायत क्यूँ नही करते

शिकायत है अगर तो फिर शिकायत क्यूँ नही करते
सहोगे जुर्म यूँ कब तक बगावत क्यूँ नही करते

हमें बदनाम करके वो हमीं से पूछते हैं अब
कि हम उनसे पुरानी सी मुहब्बत क्यूँ नही करते

ड़री सहमी निगाहे बेटियों की प्रश्न करती हैं
कली की बागबां जाने हिफ़ाजत क्यूँ नही करते

बढ़ा जब बोझ जिम्मेदारियों का तो समझ आया
बड़े होकर बड़े अक्सर शरारत क्यूँ नही करते

इबादत तो दिखावे की नही है चीज कोई फिर
दिखावे के बिना हम सब इबादत क्यूँ नही करते

मकां कोठी दुकानों की वसीयत की सभी ने हम
कभी अपनी रवायत की वसीयत क्यूँ नही करते

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम ईसाई पारसी कोई
धरम का नाम हम सब आदमीयत क्यूँ नही करते

सतीश बंसल
०५.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.