गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – हंसता और हंसाता क्या

मेरी जिंदगी में आकर बस यूं ही चले जाओगे
पता जो होता मुझको तो दिल को लगाता क्या

सारी रात तेरी बातें सारी रात तेरे चर्चे
महफिल में तेरे किस्से लोगों को सुनाता क्या

सरे राह रुसवा होना सरे राह बिखर जाना
मोहब्बत की अपनी दास्तां लोगों को बताता क्या

खबर न थी मुझको वह मुलाकात आखरी थी
मैं इतना खुश क्यूं होता हंसता और हंसाता क्या

बेवफा फिर ना आई पलकें होती रही भारी
टूटता दिल क्यूं मेरा अश्को को बहाता क्या

दिल तोड़ने का उसका है शौक ये पुराना
इल्म जो होता मुझको तो दिल को रुलाता क्या

कड़ी धूप में निकलना मिलने उस बेवफा से
बुखार में क्यूं तपता बदन को जलाता क्या

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :[email protected]