फिश-सेलफिश
व्यंग्य कविता
एक बेबी फिश ने
ममी फिश से
पूछी एक बात
बोली, ”ममी,
एक छोटी-सी है
मेरी तहकीकात
आप दिन-रात मुझे
पानी में ही घुमाती-फिराती हो
कभी जमीन पर
क्यों नहीं ले जाती हो?
क्या जमीन पर रहने की
नहीं है हमारी औकात?”
ममी फिश प्यार से बोली,
”तुम्हारा इरादा है नेक
लेकिन
हमारे बड़े-बुजुर्गों का
तजुर्बा है एक
जमीन पर नहीं रह सकती है फिश
वहां रह सकते हैं सेलफिश
केवल सेलफिश
केवल सेलफिश.”
बेबी फिश और ममी फिश के वार्तालाप से यह बात उभरकर आती है, फिश- पानी में सेलफिश जमीन पर रहते हैं. फिश सेलफिश को अच्छी तरह जानती-पहचानती है.