देखा
वे कहते हैं
ज़ख्मों के बाज़ार में मुस्कुराहटों को रोते देखा,
आसमां के गुलज़ार में सितारों को रोते देखा,
जब कहीं न चल सकी चाल उजियारों की,
अंधियारों के आज़ार में उजियारों को रोते देखा.
फिर भी यह अंत तो नहीं है,
वक्त तो अपनी चाल बदलता ही रहता है,
आज जो कहते हैं,
ज़ख्मों के बाज़ार में मुस्कुराहटों को रोते देखा,
कल वो ही कहते मिलेंगे,
मरहम के गुलिस्तां में ज़ख्मों को चैन से सोते देखा.
अभी हाल ही में,
भाप बनते-बनते अविश्वास के काले बादलों को,
अविश्वास प्रस्ताव के रूप में हौले-हौले बनते देखा,
फिर विश्वास की झीनी धार के बल पर,
अविश्वास के काले बादलों को,
विश्वास के साथ धम्म से गिरते-बरसते देखा.
गठबंधन के बंधन को धीरे-धीरे बंधते देखा,
गठबंधन के आंसुओं को ही संसद में
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर पानी फेरते देखा.
गठबंधन के आंसुओं को ही संसद में
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर पानी फेरते देखा.
गठबंधन के आंसुओं को ही संसद में
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर पानी फेरते देखा.
बहुत सुन्दर रचना लीला बहन .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको कविता बहुत सुंदर लगी. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
विपक्ष के आरोपों पर पीएम मोदी ने ली जनता से ‘क्लीन चिट’
सदन में विश्वास मत जीतने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जनता का विश्वास जीतने के लिए यूपी में चुनावी अभियान की आधिकारिक शुरुआत की। जनता से हामी भरवाने की चिरपिरचित शैली की ओर मोदी फिर लौटे। इस बहाने विपक्ष के सदन में लगाए एक-एक आरोपों पर जनता से क्लीन चिट ली। किसान बेल्ट में गन्ना मूल्य बढ़ोतरी से लेकर एमएसपी के फायदे गिना मोदी ने वादा पूरा करने का दावा किया। साथ ही, विक्टिम कार्ड खेल जनता से भावनात्मक जुड़ाव की संभावनाएं पुनर्जीवित कीं।