क्रांति- क्रांति- क्रांति
घर से निकलो वीर जवानों ,
रहा पत्ता -पत्ता बोल रहा |
जर्रा -जर्रा -परेशान है ,
शेष नाग है अब क्यों डोल रहा||
हर दिल अब बेचैन हुवा है ,
हर दिल में क्यों घबराहट है|
कलयुग की -काली परछाई ,
के जाने की अब आहट है ||
क्रांति- क्रांति- क्रांति |
अब लुट करोडो -अरबो की ,
नेतावो की ख़तम गद्दारी हो |
अमन चैन की हो अब दुनिया ,
ख़तम यहाँ मक्कारी हो ||
बेईमानो -मक्कारों का ,
भारत में सत्यानाश करो |
उठो धरा के अमर सपूतो ,
पुनः नया निर्माण करो ||
क्रांति- क्रांति- क्रांति |
आग लगी है जज्बातों में ,
है बच्चा -बच्चा गरज रहा |
लगता है भारत के कोने -कोने में ,
कोई शोला भड़क रहा ||
सबका जीवन है नरक बना क्यों ,
चारो तरफ अँधेरा है |
लगता हर नेता अब राक्षस ,
हर जीवन कोअब घेरा है ||
क्रांति- क्रांति- क्रांति |
हर राहो में गुंडे बैठे ,
हर जगह खड़े -भ्रष्टाचारी है |
माँ -बहनों की आबरू जैसे ,
पूरी हुई बाजारू है ||
जब गली -गली में लुट मची हो ,
हर जगह पर मिलती दारू हो |
फिर कौन सुरक्षा करेगा इनकी ,
क्यों ना नारी यहाँ बाजारू हो ||
क्रांति- क्रांति- क्रांति |
— ह्रदय जौनपुरी