“बहारों की बात करते हैं”
फलक पर चांद सितारों की बात करते हैं
बाग में आए बहारों की बात करते हैं,
रात के स्याह अंधेरों की बात क्या करना
सुबह सूरज के नजारों की बात करते हैं,
वो लहरे जो हमारे मिलने की साझेदार रही
उन्हीं समुंदर के किनारों की बात करते हैं,
आंखों से बातें करना आंखों से ही समझना
आज हम फिर से इशारों की बात करते हैं,
तुम भी पूरे ना हुए हम भी अधूरे ही रहे
एक दूसरे के सहारो की बात करते हैं,
डोलिया उठ गई सब अपने अपने घर को गई
लौट कर आए कहांरो की बात करते हैं,
अभी इजहारे मोहब्बत करना है फिर से
एक बार ही क्यों हजारों की बात करते हैं,