कविता

प्रकृति

जब हम अच्छा और बुरा सोचने लगते हैं
और वार करने लगते हैं
नैसर्गिकता पर।
लेकिन प्रकृति ऐसा नहीं करती..
वह जानती है..
क्योंकि
कुछ भी
अच्छा या बुरा नहीं होता है।
बस होता है तो उसे देखने का नजरिया।।
और यह नजरिया तय होता है..
आपने अब तक कितनी प्रकृति देखी है।
प्रकृति जानती है
कि उसका अस्तित्व कतई निरर्थक नहीं है
इसीलिए वह जीवित रहना पसंद करती हैं।
उतनी ही जीवंतता से
प्रकृति होकर
शायद
प्रकृति को
कृत्रिम कह कर नकार भी लिया जाए
लेकिन प्रकृति
सदा जीवित रहती हैं
अपने में।।

कुशाग्र जैन

कुशाग्र जैन

व्याख्याता चित्रकला रा उ मा वि सलुम्बर जिला - उदयपुर(राजस्थान ) पता - बागीदौरा, जिला बांसवाड़ा(राजस्थान) मो. – 07597516346 Email – Jainkrikush@gmail.com पेशे से शिक्षक, चित्रकार और उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित