मुक्तक/दोहा मुक्तक नीतू शर्मा 'मधुजा' 06/10/201806/10/2018 स्वयं के स्वार्थ से मतलब, दुआ वो क्या भला जाने फरेबों से लबालब जो, वफा वो क्या भला जाने भले रोए कि फिर तड़पे, नहीं मतलब किसी से कुछ हृदय पत्थर बने जिनके, दया वो क्या भला जाने.
वाह !
हार्दिक आभार आदरणीय जी