लेख :- MeToo एक अच्छा अभियान हो सकता है ।
लेख :- #MeToo एक अच्छा अभियान हो सकता है ।
आरोप प्रत्यारोप के बीच में me too का जो मुख्य उद्देश्य था, वह लोगों की सोच और फालतू बहसबाज़ी के बीच खो गया ।
अभी अभिनेत्रियों ने पहल की है, इसलिए यह गलत लिया जा रहा है ।जो बड़े पद पर हैं इसका यह निहतार्थ नहीँ की वो साफ छवि के ही हैं , साहस का कार्य तो है ही क्योंकि आरोप लगाने के साथ आप की भी इज्जत की बात होती है । हाँ इसका दुरुपयोग न हो इसके लिए कुछ कदम उठा कर रखे जाने की आवश्यकता है । सबसे बड़ा साहस तब कहलायेगा जब त्वरित प्रहार हो ।
सही दिशा में पहल हुई तो धीरे धीरे घरेलू महिलाएं सामने आकर बोलेगीं । मैं तो चाहती हूं कि कामवाली बाइयाँ सामने आकर बोलें ताकि मालिक रूपी हैवान सामने आ सकें, तब शायद लोगों को स्वार्थ ना दिखाई दे । साथ ही कॉल सेंटर पर काम करने वाली लड़कियों को हिम्मत करनी चाहिए ।
हम इस कैम्पेन को पूर्ण रूप से बुरा नहीं कह सकते, क्योंकि ये दोषियों को सज़ा दिला सकता है । हां इसके दुष्परिणाम भी सामने आएंगे, महिलाओं की इज़्जत पर भी सवाल खड़े होगें पर जो महिलाएं सही होगीं वह मिशाल कायम कर सकेगीं ।
Me too के बिना भी किसी आरोपी को कोर्ट कौन सा जल्द सज़ा देता है । इसके बहाने लोगों के चेहरों से नकाब उतर सकते हैं।
#MeToo एक बहुत अच्छा अभियान हो सकता है बस इसमे राजनीति का जहर न घोला जाए, तो यह कैम्पेन महिलाओं को न्याय जरूर देगा और हर वर्ग से शोषित और पीड़ित महिला आवाज उठा सकेगीं और भविष्य में अपने ऊपर हुए शोषण के खिलाफ बोल सकेगीं ।
यदि आरोप फ़ेसबुक या ट्विटर पर एक लीगल एफ़िडेविट साइन करके उस एफ़िडेविट के ऊपर लिखकर लगाया जाए।
वर्तमान स्वरूप में ये सिर्फ़ एक डर्टी गॉसिप बनता जा रहा है , जिसका उद्देश्य अपनी कुंठा निकालना और ग़ैर ज़िम्मेदारी पूर्वक सामने वाले की चरित्र हत्या करना है, जिसका दुष्प्रभाव ये होगा कि
ये पुरुषों के साथ साथ मीडिया इंडस्ट्री में अपने दम पर सफलता हासिल करने वाली महिलाओं की सफलता को भी संदेह के घेरे में ला देगा।
ग़ैर ज़िम्मेदारीपूर्वक लगाए गए ऐसे सारे आरोपों को अफ़वाह की श्रेणी में रखकर उन पर क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए।
सकारात्मक पहल के लिए यह अभियान शुरू हुआ है, इसलिए सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ें । बेफिजूल की बातों से इसे महत्वहीन ना बनाएं ।
— जयति जैन “नूतन” —-