कविता

क्यों बदल रहा नसीब है।

क्यों बदल रहा नसीब है,
हालात दिखते अजीब है।

तुम  वही हो और हम भी ,
प्यार दरम्यां है और कम भी।

कुछ तो है जो खटकता है,
मन भावुक सा यूं भटकता है।

महसूस तो तुम भी  करते हो,
शायद कहने से बस डरते हो।

हम हार रहे हैं खुद से भी  अब,
रिशते निभा रहे हैं कैसे भी सब।

हमको बदलना होगा रुख अपना,
वरना रह जाएगा अधूरा हर सपना।

चलो बदल दे अपने इस नसीब को,
जीत में बदल दें इस हारे नसीब को।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |