आँचल में भर दें आकाश के सितारे
साथियो! आओ, आज हमको वतन पुकारे।
माँ के आँचल में भर दे आकाश के सितारे
चट्टानें भेदभाव की मिलजुल के तोड़ना है।
हमें न्याय-पथ को दर-दर से जोड़ना है।
माँ भारती के हम सब हैं आँखों के तारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।
हिन्दू हो या मुस्लिम, सिक्ख हो या ईसाई।
यही जन्मभूमि अपनी, आपस में हम भाई-भाई।
हम देश के हैं रक्षक, हम देश के दुलारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।।
भ्रष्टाचार के विरोध में हम सब को उतरना है।
प्राणपण से अपने ईमान की रक्षा करना है।
धरती में सदा गूँजे जय हिन्द के ही नारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।
— प्रियंका विक्रम सिंह, बांदा