गीत/नवगीत

आँचल में भर दें आकाश के सितारे

साथियो! आओ, आज हमको वतन पुकारे।
माँ के आँचल में भर दे आकाश के सितारे

चट्टानें भेदभाव की मिलजुल के तोड़ना है।
हमें न्याय-पथ को दर-दर से जोड़ना है।
माँ भारती के हम सब हैं आँखों के तारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।

हिन्दू हो या मुस्लिम, सिक्ख हो या ईसाई।
यही जन्मभूमि अपनी, आपस में हम भाई-भाई।
हम देश के हैं रक्षक, हम देश के दुलारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।।

भ्रष्टाचार के विरोध में हम सब को उतरना है।
प्राणपण से अपने ईमान की रक्षा करना है।
धरती में सदा गूँजे जय हिन्द के ही नारे,
माँ के आँचल में भर दें आकाश के सितारे।

— प्रियंका विक्रम सिंह, बांदा

प्रियंका विक्रम सिंह

फतेहपुर की मूल निवासी प्रियंका की शिक्षामित्र रहते हुए कविता लिखने की ओर रुचि जाग्रत हुई। बच्चों से मित्रवत् व्यवहार रखते हुए उनके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था के लिए सदैव प्रयासरत हैं । 2015 से बांदा जिले के नरैनी विकासखंड में शिक्षिका के रूप में काम करते हुए रचनाकर्म में संलग्न हैं। काव्य संकलन "हाशिए पर धूप" में कविताएं शामिल हैं। 'दैनिक विजय दर्पण टाईम्स' (मेरठ) में रचनाएं प्रकाशित।