चुनाव चिन्ह
गर्मया था चुनावी माहौल चारों ओर
बज रहे थे सब ओर देशभक्ति के गीत,
जो था कभी पक्का दुश्मन वो भी
बन गया था नेताओं का सच्चा मीत।
“मेरे देश की धरती सोना उगले
भर दे सारे नेताओं की तिजोरी,
जनता खुशी खुशी दे दे वोट
वरना कर लेंगे हम सीना जोरी।”
द्वार द्वार जाकर मांगा वोट सबसे
जोड़कर हाथ, होकर नतमस्तक,
खोला नहीं द्वार जब किसी ने तो
दीया दरवाजे पर जाकर दस्तक।
माताओं, बहनों और भाइयों सुनो
अगर बना दिया हमें इस बार नेता,
भ्रष्टाचारी के बाजार में आपको
बना देंगे हम एक सफल विक्रेता।
फिर चाहे जो बेचो, जो खरीदो
होगी नहीं उसकी कोई मनाही,
खुली छूट मिलेगी मेरे राज में
मचाने की देश में भीषण तबाही।
रामू दादा को समझाया एक ने
मोहर लगाना जाकर पंजे पर,
दो हजार रुपए पहुंचा देंगे हम
रात में आपके घर में जाकर।
रामू दादा से फिर दूसरे ने कहा
मोहर लगाना तुम कमल पर,
बदले में मिलेगा तीन हजार रुपये
गवाना ना हाथ से यह सुअवसर।
निकला देकर वोट रामू दादा जब
पूछा दोनों ने उसके पास जाकर,
बताओ रामू दादा तुमने आज
किस चित्र पर लगाया अपना मुहर।
भोले भाले रामू दादा ने कहा
दोनों से अपना खींसे निपोरकर,
“दबा दिया है बटन हमने आज
जोर से दोनों चुनाव चिन्हों पर।
दोनों ही अपने भाई बंधु है
क्या मिलेगा किसी का दिल दुखा कर।
हम गरीब है गरीब ही रहेंगे सदा
जीते चाहे पंजे वाला या फिर कमल,
हम तो भूखे के भूखे ही रह जाएंगे
उगेगी ना जब हमारे खेत में फसल।
पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल