दर्द मिलता है दिल लगाने से
तुम जो आये नहीं जमाने से
हम मुस्कराये नहीं जमाने से
कितने सावन यूं ही बीते
दर्द मिलता है दिल लगाने से
रुठना भी तुम्हारा वक़्ती था
मान जाओगे तुम मनाने से
सितारे रात भर जागते रहे
चांद पिघलेगा टिमटिमाने से
हवा से हाल जो पूछा उसका
टाल मटोल कर दिया बताने से
साजिशन सब है मेरे खिलाफ
उंमीद क्या रखता जमाने से
उसकी याद भुलायी न जायेगी
कुछ न होगा अब दिल जलाने से