सपनों का जहान
आओ फूलों सा हंसे
और सब को हंसना सिखाएं,
खुद खुशी से जिए और
सबको जीना सिखाए।
पल दो पल की है जिंदगानी
उसे रो कर ना गवाएं,
आज का पल है हाथों में
कल आए कि ना आए।
गुम है जो गम के अंधेरे में
उन्हें उजाले का पता बताएं,
खिली ना जहां खुशी की कलियां
उजड़े बाग को गुलशन बनाएं।
भूखा है जग मीठे बोल का
मधुर वाणी से उसे अपना बनाएं,
हिंसा, द्वेष, घृणा की भूमि पर
प्यार और इमान की फसल उगाएं।
बारूद के ढेर पर बैठी दुनिया
शांति का उसे पाठ पढ़ाएं,
विहग की भांति आजाद गगन में
उड़े हर कोई पंख फैलाए।
आओ मिलकर हम सब
एक ऐसी सुंदर जहां बनाएं,
रात को सोए चैन की नींद
दिन में किसी से खौफ ना खाएं।
पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।