लघुकथा

पाप

“अरे मुझे तो कल बिट्टू ने दिखाया कि देखो माँ होनेवाली भाभी की कॉलेज ट्रिप की फोटो फेसबुकपर, उसमें देखा मैंने किसी लड़के के साथ नाच रही थी, ना बाबा मुझे नहीं मंजूर”

“ओह्हो जीजी, अब ७० के मॉडल की लड़की तो मिलने से रही”

“जो भी हो, जाने क्या-क्या पाप करती होगी पीठ पीछे, उसे अपने घर की इज्जत बना लूँ? खैर चल तू निकल मैं आती हूँ”

कहती हुई मालती देवी आईने के सामने बैठी
अचानक आईना बोल उठा

“क्यों मालती, तुमने भी तो अपनी बेटी के पाप को समाज से छिपाकर गिरवा दिया था और शादी भी करा दी, वो भी तो किसी के घर की इज्जत……..”

मालती देवी के माथे पर पसीने की बूँदे छलछला आईं लेकिन उन्होंने चेहरे पर मजबूती का भाव लाते हुए उन्हें पोंछ लिया और झटके से उठ गयी

उसी शाम लड़कीवालों के घर खबर गई कि मालती देवी ने रिश्ता ठुकरा दिया है…

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन