लघुकथा

आदर्श सन्यासी (लघुकथा)

फूल ले लो…हाँक लगाता हुआ ठेलेवाला जैसे ही सोसायटी में आया महिलाएँ निकल पड़ीं अपने लिये फूल और गमले खरीदने ।
“अररे ये क्या ! ओ ठेलावाले भैया अपना ठेला या तो आगे बढ़ा लो या पीछे कर लो ।”
“क्यों मेमसाब?”
“तुम्हें पता नहीं है तेरी हाँक से एवं हमारी गपसप से शर्मा दंपति का मूड खराब हो जायेगा , खामख्वाह बैठे-बिठाये मुसीबत क्यों मोल लेना, ऊपर से सुनते हैं उनके बूढ़े पिता भी आ गये हैं।अब तो मुहल्ले में कभी हँसी नहीं गूँजेगी।”
यह सब सुनकर फूल वाले को बड़ा दुख हुआ। उसने कहा ; “ठीक है बहन जी आप लोगों को जो पसंद आ रहा है वह ले लेवें ,फिर मैं ठेला लेकर चला जाऊँगा।”
बातचीत बीच में ही रुक गई क्योंकि शर्मा जी के पिता ठेलेवाले को रुकने का इशारा कर रहे थे।
“सुनो भाई मेरी तो बहुत उम्र हो गई है पर मैं इन फूलों के संग बातें करके ही अभी तक स्वस्थ हूँ।
पत्नी गुजर गई ,बच्चों के पास आना पड़ा । उनकी हँसी लुप्त हो गई है ,शायद रंगबिरंगे फूलों को देख कर हमारे बच्चों की हँसी फिर से वापस आ जाये।”
मुहल्ले की सारी महिलाएं उनके विचारों को सुनकर बहुत प्रभावित हुईं ।
“अँकल आपकी तो उम्र बहुत अधिक हो गई है, फिर भला आप इन फूलों का ख्याल कैसे रख पायेंगे।”
“बेटे बहु को नसीहत देने के बजाए इन फूलों से दिल बहलाऊँगा तभी खुश रह पाऊँगा , प्रीत की रीत समझो ।
गृहस्थ जीवन में सन्यासी बनने के लिए सेहत स्वाद और संगत पर विशेष नियंत्रण रखना जरुरी है।”

— आरती राय.

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - [email protected]