लघुकथा

जद्दोजहद

“क्यों पापा कब तक यूँ ही असमंजस की स्थिति में हमें रखेंगे? माना कि आप मुखिया हैं इस घर के ।परंतु आप यह क्यों नहीं मानते कि माँ के बिना इस घर की कल्पना भी अवश्यंभावी है।”

“तुम कहना क्या चाहते हो ? क्या अब तेरी माँ को अपनी मर्जी का करने दूँ? वर्षों से तेरी माँ की लापरवाही घर के प्रति झेलता रहा ।जब भी वह अकेले होती बस चित्रकारी के नाम पर रंगों से खेलते हुए उल-जलूल रंग भरते रही । अब उसे जगह-जगह नुमाइश और प्रदर्शनी की छूट दे दूँँ?”

“पापा आप यह क्यों भूल रहे हैं ; जबसे मैंने होश संभाला है , आपको रोबोट की तरह यंत्रवत घर की जिम्मेदारी संभालते हुए देखा है। कभी याद किजिए आप माँ को कभी दहलीज पार करा कर बाहर की खुबसूरत दुनिया का दीदार आपने कराया है ?”

“बहस मत करो; जिसको जहाँ जाना हो जाओ,पर एक बात याद रखो अगर तेरी माँ ने घर से बाहर कदम बढ़ाया तो वापस इस घर के दरवाजे उसके लिये सदा के लिये बंद हो जायेंगे।”

“ठीक है पापा मैं भी बालिग हो गया हूँ अगर माता-पिता जीवनदाता हैं तो पुत्र का भी फर्ज है अपनी माँ की खुशियों का ख्याल रखे।”

काफी जद्दोजहद के बाद भी परिणाम कुछ नहीं निकला।दोनों मुँह फुलाकर अपने अपने कमरे में चले गये।

तभी पापा की आवाज सुनाई दी ; “इस घर में मेरी सुनता कौन है ?क्या अब प्रदर्शनी में जाने में देर नहीं हो रही है?”

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - [email protected]