अभिनंदन है अभिनंदन को देश आपकी बोले जय
अरि के सन्मुख खड़ा रहा, जो सीना ताने हो निर्भय,
*अभिनंदन* है *अभिनंदन* को, देश आपकी बोले जय।
जान गया है विश्व आज अब, लहू रगों में तूफानी है,
इसी लिए तो हर-हर, बम-बम बोल रहे सब जय ही जय।।
बनकर सीमा का प्रहरी *अभिनंदन* सदा रहा चौकन्ना,
उन्नत रहे शीश अपना, लिए ह्रदय में यही तमन्ना।
सुविधाओं से लैस पाक की इक टुकड़ी को खेद लिया,
मार गिराया उस विमान को जो सक्षम था दस गुना।।
चौंक गयी सारी दुनिया शौर्य देख अभिनंदन का,
बाल ना बांका हो पाया वीर प्रसूता नंदन का।
अचल रहा पाक जमीं पर, सीना ताने रहा खड़ा,
इसी लिए तो गूँज रहा है गीत हिन्द में वंदन का।।
मक्कारों की मक्कारी ने, इक पल उसे फंसाया था,
हिन्द जमीं बतलाकर के पाकी ने जाल बिछाया था।
हुंकारा जब सिंह सरीखा, “वंदेमातरम्” घोष किया,
असली चेहरा सामने आया छली ने जिसे छिपाया था।।
जान गया वह नहीं हिन्द में, स्यालों ने है घेर लिया,
दिल में धारण किया तिरंगा, क्रोध से मुट्ठी भींच लिया।
सहसा उसको ध्यान हुआ कि पेपर पास जरुरी है,
घायल पीठ लिये वह दौड़ा, पास सरोवर कूद लिया।।
एक-एक को फाड़-फाड़ कर चबा-चबा कर लील लिया,
बाकी को जल में मिलाकर, मसल-मसलकर लीद किया।
अरि समक्ष अड़ा रहा, वह डरा नहीं, अदम्य साहस लिए हुये,
आँख मिलाकर देखा तुमने, जिसने तुम्हे जलील किया।।
जान गया था पाक भयानक मंजर आने वाला है,
शांति कबूतर नहीं हिन्द से खंजर आने वाला है।
जिसका एक अकेला सैनिक निडर खड़ा है उसके पास,
उस हिन्द की सेना आने से अब क्रंदन आने वाला है।।
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।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045