ग़ज़ल
क्यों गीत ग़ज़ल होठों पे है क्यों गाएं तराना क्या जाने
दिल वालों पर क्या गुज़री है बेदर्द जमाना क्या जाने।
क्यों तिल तिल शम्मा जलती है क्यों परवाना जल जाता है
जिनके सीने में दिल ही नहीं ये क्या है फसाना क्या जाने।
तेरी धड़कन में श्याम है तो मेरी सांस सांस में राधा है
हम दोनों दूर हैं दुनिया से कोई अपना ठिकाना क्या जाने।
क्या करना है दौलत शौहरत एक तेरी हथेली काफी है
जिनको ये दौलत मिली नहीं, अनमोल खजाना क्या जाने।
क्या चांद चकोर का रिश्ता है, हर कोई कहां समझता है
जिन्हें रूह को छूना ना आया, वो प्यार निभाना क्या जाने।
मतलब की दुनिया में ‘जानिब’, हर बात का बदला जो मांगे
खामोशी से दिलबर के लिए, वह जान लुटाना क्या जाने।
— पावनी जानिब सीतापुर