पीड़ा का गीत
तुमको देखे युग गुजरा है ।
हाय प्रिये तुम दूर हो गये ।
हम कितने मजबूर हो गये ।
वक्त ने ऐसा मोल लगाया,
हम इसके मजदूर हो गये ।
मत फेंकों यादों के कंकड़ ,
मन पानी जैसा ठहरा है ।
तुमको……………
तुम बिन सब वीराना लगता।
झूठा ताना बाना लगाता ।
केवल एक तुम्हारे बिन यह-
सकल शहर बेगाना लगता ।
मेरी पीड़ा की थाती पर ,
अश्रु बिंदुओं का पहरा है ।
तुमको………………
नही चाहिये वैभव भारी ।
कोई हर ले पीर हमारी ।
मेरे बीते दिन वापस कर,
ले ले सारी जिम्मेवारी ।
कोई तो उपचार करो ,इस-
उर का घाव हुआ गहरा है।
तुमको देखे…………….
————–डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी