कविता

कविता

रिश्तों को
जान पहचान की सीमाओं बाँध दिया
हंसी में अपने आंसुओं को छुपा लिया
जज़्बातों को मौन में छुपाया है
कह दूँ भी तो सुनेगा कौन
सुन ले तो मेरे संग रोयेगा कौन
ये दुनिया का मेला है
जहाँ आया अकेले तू, जायेगा भी अकेला है
साथ कुछ लाया नहीं, और ले भी क्या जायेगा…

— सुमन रूहानी

सुमन राकेश शाह 'रूहानी'

मेरा जन्मस्थान जिला पाली राजस्थान है। मेरी उम्र 45 वर्ष है। शादी के पश्चात पिछले 25 वर्षों से मैं सूरत गुजरात मे रह रही हुँ । मैंने अजमेर यूनिवर्सिटी से 1993 में m. com किया था ..2012 से यानि पिछले 6 वर्षों कविताओं और रंगों द्वारा अपने मन के विचारों को दूसरों तक पहुचने का प्रयास कर रही हुँ। पता- A29, घनश्याम बंगला, इन्द्रलोक काम्प्लेक्स, पिपलोद, सूरत 395007 मो- 9227935630