मुक्तक/दोहा

चंद पंक्तियां

वृक्ष
जन-जन में जागृत हो,वृक्ष के प्रति सम्मान।
धूप ताप से आराम दे,जलवायु हो समान।।
सादा विचार रख के, सबका करो उपकार।
पेड़ में भी प्राण है, देता लाभ हजार।।
सबको है आभास यह,फिर भी मन में न विचार।
साफ सफाई में मग्न हो, पेड गिराये हजार।।
निष्कर्ष
राष्ट्रवाद छाया जहन में, जातिवादी गछबंधन में फूट।
परिणामों से चौंके ऐसे,मनमानी गयी छूट।।
मुद्दो से भटककर वो,बोल रहे थे कड़वे बोल।
चिंता नही तनिक देश की,सिर्फ पीट रहे थे ढ़ोल।।
जनता ने बीन बजायी की,तरस कर रह गये सब।
बोलने को तो बोल गये, लेकिन पछता रहे अब।।
देशभक्त की यह आँधी थी, सभी पर भारी पड़ी।
बदलाव की भावना लिए, सबको फर्ज निभानी पड़ी।।
आशुतोष, पटना बिहार

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)