मुक्तक
अहंकार का बोझ जब, सिर पर चढने लगा,
आदमी को आदमी तब, कीडे सा लगने लगा|
ढोने लगा वह बोझ अपना, अपने कांधो पर यहाँ,
आदमी से आदमियत का, अहसास भी घटने लगा|
— अ कीर्ति वर्धन
अहंकार का बोझ जब, सिर पर चढने लगा,
आदमी को आदमी तब, कीडे सा लगने लगा|
ढोने लगा वह बोझ अपना, अपने कांधो पर यहाँ,
आदमी से आदमियत का, अहसास भी घटने लगा|
— अ कीर्ति वर्धन