पूछता हूँ
अपने दिल और दिमाग से पूछता हूँ
अपना हाल अब अपने आप से पूछता हूँ
क्यू अकेला हूँ इस भरी महफिल में
ये सवाल में ,तुमसे पूछता हूँ
तुमसे मिलना हर बार का आखरी तो नहीं
फिर भी में क्यू जुदाई से डरता हूँ
कहा क़त्ल हो गया मेरा ये पता नहीं
ये तुमसे और तुम्हारी बेवफाई से पूछता हूँ
क्यू गुजरता है दिन मेरा यूँ तन्हा
ये तुमसे और तुम्हारी खुदाई से पूछता हूँ