ग़ज़ल
समय से न पहले यूँ जाया करो।
नहीं इस तरह से सताया करो।
ज़रूरत पे कुछ काम आया करो।
न ज़्यादा किसी को सताया करो।
यूँ ही मिल के मुझसे न जाया करो।
कभी घर भी अपने बुलाया करो।
फ़क़त बात ही मत बनाया करो।
वतन मिल के अपना सजाया करो।
न मर्ज़ी अगर हो बताओ नहीं,
ग़लत रास्ता मत बताया करो।
अगर नस्ल अपनी बनानी भली,
सबक़ रोज़ अच्छा रटाया करो।
— हमीद कानपुरी